सराय वह जगह है जहां दिन भर के थके हारे मुसाफिर शाम के धुंधलके में पड़ाव डालते हैं। सबकी राहें अलग हैं और मंजिलें भी जुदा। लेकिन चारों तरफ से घिरती स्याही उन्हें एकदूसरे के करीब ला देती है। सर्द रात में अलाव के इर्दगिर्द इंसानी घेरे में खुल जाती हैं खयालों की पोटलियां। शमा की आखिरी सांस तक चलता जाता है किस्सों, कहानियों और आपबीतियों का सिलसिला। सहर का मुंतजिर यह सराय आपको सुनने और सुनाने की दावत देता है ताकि सफर तनहा भी हो तो हमकदम रहें यादें।